सिर्फ विजयदशमी के दिन खुलते हैं मंदिर के कपाट,,

मोहित पाण्डेय

उत्तर भारत का इकलौता ऐसा दशानन मंदिर है जो साल मे एक बार खुलता है। कानपुर शहर में रावण का एक ऐसा मंदिर है, जो पूरे उत्तर भारत में कहीं नहीं है। शिवाला स्थित लंकेश का दशानन मंदिर सिर्फ दशहरे के दिन खुलता है। सुबह सवेरे मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, शिवाला में रावण का मंदिर है। यहां पर दशहरा के दिन सुबह से भक्त रावण की पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। यहां पूजा केवल दशहरे के दिन ही हाेती है। रावण के इस मंदिर में दशहरा के दिन रावण की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। बाकी दिन इस मंदिर के कपाट बंद ही रहते हैं। यह मंदिर साल में एक बार विजयादशमी के दिन ही खुलता है। इस मंदिर में शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा होती है। परंपरा के अनुसार सुबह 7 से बजे मंदिर के कपाट खोले दिए जाते हैं,और रावण की प्रतिमा का साज श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद आरती की जाती है। शाम को मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए फिर बंद कर दिए जाते हैं। मान्यता है कि यहां रावण काे तेल और पीले फूल चढ़ाने से सभी ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और घर में खुशियां आ जाती हैं। रावण के इस मंदिर में विजयदशमी के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है।

मान्यता ऐसी भी है की जिस दिन श्री राम के हाथों रावण का वध हुआ था उसी दिन उसे मोक्ष भी मिला था,,

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