नवरात्रि का शुभारंभ 3 अक्टूबर से प्रारंभ हुए है। इसी के साथ देशभर में देवी माता के सभी प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता हैं। और चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा आपके आसपास बनी रहती हैं। इसी बीच बात करते हैं देवी मां के उस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में, जहां नवरात्रि शुरू होते ही उसके समापन तक.. भक्तों की भीड़ हमेशा बनी रहती है. हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के बिरहाना रोड स्थित मां तपेश्वरी मंदिर की. जिसकी मान्यता रामायणकल सेे जुड़ी हैं श्रीराम के परिवार, माता सीता और लव कुश से जुड़ी है. दरअसल,तपेश्वरी मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर पूजा करने से निसंतान दंपति की संतान पाने की मुराद पूरी हो जाती है. इसके चलते नवरात्रि के दिनों में यहां पर दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं. भक्त माता की पूजा अर्चना कर अपने मन की मुराद मांगते हैं. मुराद पूरी होने पर वे यहां पर आकर बच्चों का मुंडन भी कराते हैं. और जो भक्त अखंड ज्योति जलाते हैं भगवती उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करती है। यहां लखनऊ रायबरेली फर्रुखाबाद कन्नौज इटावा आदि जिलों से आकर भक्त मां का दर्शन करते हैं।

वाल्मीकि के आश्रम जाते समय सीता जी ने यहां की थी पूजा

इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है. ऐसी मान्यता है कि धोबी की बातें सुनने के बाद भगवान श्रीराम ने माता सीता का त्याग करने का फैसला किया था. कानपुर के बिठूर में मां सीता ठहरती थी। तपेश्वरी मंदिर में जाकर भगवान राम को पाने के लिए तप करती थी कहा जाता है की मां सीता के साथ तीन अन्य महिलाएं कमला विमला और सरस्वती भी उनके साथ यहां पर तप करती थी। इस वजह से इस मंदिर को तपेश्वरी मंदिर पड़ा मंदिर में जो चार देवियां विराजमान है, वह कमला विमला, सरस्वती और मां सीता है मगर आज तक इस बात की जानकारी किसी को नहीं हो सकी सिर्फ एक रहस्य मात्र बनकर ही रह गया कि आखिर इन चारों देवियों की मूर्ति में से मां सीता की मूर्ति कौन सी है? बाद में वाल्मीकि आश्रम में रहते हुए माता सीता जी ने लव कुश नाम के बालकों को जन्म दिया, जिनका मुंडन संस्कार और कर्ण छेदन इसी तपेश्वरी देवी मंदिर में कार्य थे। इस मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत अधिक आस्था है. नवरात्रि के दिनों में यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. वहीं, अन्य दिनों में भी भक्तों का तांता लगा रहता है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में पूजा करने और माता से मुराद मांगने पर निसंतान दंपतियों की संतान की मुराद पूरी हो जाती है. कुछ लोग मंदिर परिसर में मन्नत मांगने के साथ ही चुनरी चढ़ाते हैं. मन्नत पूरी होने पर ही यह चुनरी खोली जाती है, जिसे भक्त अपने घर ले जाते हैं. नवरात्रि के दिनों में यहां पर मुंडन और कर्ण छेदन कराने वालों का भी हुजूम उमड़ता है। वही नवरात्रि के समय 108 नाम का जाप करने का पद प्रतिष्ठा ऐश्वरी कामना पूरी होती है। मन्दिर के आस पास विभिन्न प्रकार की दुकान लगती है और लोग खरीदारी करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *