कानपुर। प्रमुख सचिव परिवहन के दिशा निर्देश के तहत अब पुराने वाहनो की क्रय विक्रय करने वाले व्यौहारी का पंजीकाण जरूरी होगा नही तो उसे क्रय विक्रय करने का अधिकार नही होगा। व्यौहरी के द्वारा अधिंक संख्या में वाहनो का क्रय विक्रय किया जा रहा है ,लेकिन यह व्यौहारी न तो प्रदेश में कही पंजीकृत है और न ही देश के किसी स्थान पर। इसके दृष्टिगत केन्द्रीय मोटर यान नियमावली 1989 में आवश्यक संशोधन किए जाने के उद्देश्य से सडक परिवहन मंत्रायलय भारत सरकार की ओर से रजिस्टीकृत यान के प्राधिकृत व्यौहारी के सम्बंध प्रावधान किए जाने के लिए अधिसूचना जारी की गई। जिसके तहत अब वाहनो के क्रय विक्रय करने वाले व्यौहारी अपनी मन मर्जी से कार्य नही कर सकेगें।
एआरटीओ प्रशासन अलोक कुमार सिंह ने बताया कि वाहन को क्रय विक्रय का उसी को अधिकार होगा जो कि विभाग द्वारा प्राधिकृत किया गया होगा। व्यौहारी को पंजीकरण कराने के लिए उसे निम्न कार्यवाही से गुजरना होगा जिसमें प्रमुख रूप से यह है कि आवेदनकर्ता की विधिक ईकाई न्यूनतम वर्ष पूर्व पंजीकृत हो तथा एक वित्तीय वर्ष नेट वर्थ न्यूनतम एक करोड रूपये हो, परिवहन आयुक्त उ.प्र. के पक्ष में रू0 लाख की बैंक गारंटी प्रस्तृत करनी होगी जिसकी वैद्यता 5 वर्ष होगी, चरित्र प्रमाण पत्र, व्यवसाय स्थान पर पार्किंग की का स्थान, खुद का परिसर अथवा 5 वर्ष की लीज पर हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मोटरयान नियमावली के तहत जो भी औपचारिकताएं है उसे व्यौहारी को पूर्ण करनी होगी तभी वह वाहनो का क्रय विक्रय कर सकेगा।