कानपुर शहर में स्थित मां बारा देवी मंदिर बेहद पुराना और प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर लगभग 1700 वर्ष पुराना बताया जाता है. इस मंदिर को लेकर यह कहानी है कि यहां पर 12 बहने आकर रहने लगी थी और वह पत्थर की बन गई तब से यह मंदिर पूजा जाने लगा पिता से हुई नाराज़ होकर उनके कोप से बचने के लिए यह सब बहाने घर से निकल आई थी. और प्रार्थना करी थी बहनों के श्राप देने की वजह से उनके पिता भी पत्थर के रूप में हो गए. तब से यहां पर भक्तों की भीड़ लगने लगी,आपको बता दें कि कानपुर दक्षिण के ज्यादातर इलाकों के नाम 12 देवी मंदिर के नाम पर ही रखे गए। इन इलाकों में बर्रा एक से लेकर बर्रा 9 तक और बिंगवा, बारासिरोही आदि इलाके शामिल है। शहर के 12 विश्व बैंक का नाम भी देवी के नाम पर ही रखा गया है।

चुनरी बांधने पर पूरी होती है मनोकामनाएं

मंदिर की सबसे खास बात यह है कि भक्त अपनी मनोकामना मानकर चुनरी बांधता है. नवरात्र में सुबह से ही इस मंदिर पर लोगों की भीड़ लग जाती है. नवरात्र में प्रत्येक दिन लगभग यहां पर एक लाख से अधिक लोग दर्शन करने के लिए आते है, यह मंदिर को लेकर मानता यह भी है कि यहां पर सभी की मुरादे पूरी होती हैं. वहीं मुरादे पूरी होने के बाद भक्त यहां पर मां का श्रृंगार करते हैं. इतना ही नहीं यहां पहले खतरनाक तरीके से नवरात्रों में भक्ति कर्तव्य दिखाते थे कोई मुंह में नुकीली धातुओं को आर पार कर मंदिर जाते थे तो कई लोग यहां पर जीभ काटकर भी चढ़ा चुके हैं लेकिन अब प्रशासन के चलते इस तरीके की प्रथाओं पर रोक लग गई है.

मंदिर के पुजारी बताया कि यह मंदिर कानपुर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. यहां पर नवरात्र में भक्तों की भारी भीड़ रहती है. यह मंदिर बेहद प्राचीन और प्रसिद्ध है यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है.। मंदिर परिसर के आसपास बहुत बड़ा मेला और बच्चों के लिए झूले लगते हैं,,

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