हाइलाइट्स:
- कानपुर में तीन दिवसीय फॉल्स हर्निया कांफ्रेंस जारी
- पद्मश्री सर्जन डॉ प्रदीप चौबे ने किया सम्मेलन का उद्घाटन
- आधुनिक तकनीकों से हर्निया सर्जरी में जीरो रिकरेंस का लक्ष्य
- प्रेग्नेंसी में 60% तक हर्निया का खतरा, डॉक्टरों ने दी चेतावनी
- तीसरे दिन होगा लाइव ऑपरेशन का सीधा प्रसारण
- उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित हो रही यह कांफ्रेंस
कानपुर/नीरज बहल : कानपुर में चल रही तीन दिवसीय फॉल्स हर्निया कांफ्रेंस के दूसरे दिन देश-विदेश के विख्यात सर्जनों का जमावड़ा लगा। मुख्य अतिथि पद्मश्री एवं विश्व प्रसिद्ध सर्जन डॉ प्रदीप चौबे ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय काला के साथ उद्घाटन किया।
डॉ प्रदीप चौबे ने उपस्थित सर्जनों को संबोधित करते हुए हर्निया ऑपरेशन की आधुनिक, सुरक्षित और न्यूनतम जटिलताओं वाली विधियों को अपनाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सिमुलेशन और रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से जीरो रिकरेंस हर्निया सर्जरी संभव है।
उन्होंने बताया कि हर्निया किसी भी उम्र में हो सकती है और मरीज की हालत के अनुसार ही उसका इलाज तय करना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में हर्निया की संभावना 60 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। वहीं पुरुषों में 30 प्रतिशत तक वायल हर्निया देखने को मिलता है।
फॉल्स हर्निया कांफ्रेंस के मुख्य सलाहकार डॉ शिवाकान्त मिश्रा ने बताया कि पेट की बीमारियों के ऑपरेशन के बाद अगर परतों को ठीक से न सिला जाए या इंफेक्शन हो जाए तो चीरा लगाने वाला हर्निया हो सकता है। पिछले तीन दशकों में इसके मामलों में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ शिवांशु मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार आयोजित हो रही यह कांफ्रेंस सर्जनों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। तीसरे दिन वरिष्ठ सर्जन द्वारा हर्निया ऑपरेशन का सीधा प्रसारण कर इसकी बारीकियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद परीक्षा द्वारा प्रतिभागी सर्जनों का मूल्यांकन कर फॉल्स हर्निया की उपाधि दी जाएगी।
कांफ्रेंस में डॉ वी.के. मल्होत्रा, डॉ राजीव भार्गव, डॉ जी.डी. यादव, डॉ आर.के. जौहरी समेत शहर और देशभर के कई वरिष्ठ चिकित्सक मौजूद रहे।