हाइलाइट्स :
- विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने किया उद्घाटन
- 1857 की क्रांति की झलक दिखाएगा महोत्सव
- रंगमंच, संगीत, गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समापन समारोह में करेंगे बड़े ऐलान
कानपुर(बिठूर)/नमन अग्रवाल : कानपुर के ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी बिठूर में बहुप्रतीक्षित बिठूर महोत्सव 2025 का आगाज हो चुका है। इस महोत्सव का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम में बिठूर विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी मौजूद रहे। इस वर्ष महोत्सव की खास बात यह है कि इसमें 1857 की क्रांति की झलक देखने को मिलेगी, जिससे बिठूर का ऐतिहासिक महत्व और भी प्रबल होगा।
1857 की क्रांति की गूंज और सांस्कृतिक छटा:
इस महोत्सव में रंगमंच, संगीत, कला और लोक संस्कृति के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। खासतौर पर माँ गंगा की कहानी और गंगा आरती विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों के कलाकार इस महोत्सव में भाग ले रहे हैं, जो अपनी कला के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। शास्त्र प्रदर्शनी, आर्ट गली और वीरांगना लक्ष्मीबाई के चल चित्र भी लोगों के लिए मुख्य आकर्षण बने हुए हैं।
सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद, विशेष प्रबंध:
महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन ने विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं। खासकर समापन समारोह के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति को देखते हुए फूल-प्रूफ सुरक्षा योजना तैयार की गई है। जिले के वरिष्ठ अधिकारी लगातार व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री करेंगे समापन, कर सकते हैं बड़े ऐलान:
महोत्सव का समापन कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में संपन्न होगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस अवसर पर मुख्यमंत्री बिठूर और कानपुर के लिए विकास योजनाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कर सकते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने की ऐतिहासिक नगरी की प्रशंसा:
मीडिया से बात करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि बिठूर नगरी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह नगर रामायण काल से जुड़ा हुआ है और अब एक नई पौराणिक गाथा लिखने जा रहा है। उन्होंने इस महोत्सव को शौर्य और पराक्रम का प्रतीक बताया।
बिठूर महोत्सव 2025: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का संगम:
बिठूर महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि इतिहास, कला और संस्कृति का महाकुंभ है। 1857 की क्रांति की यादें, वीरांगनाओं की कहानियाँ और गंगा आरती जैसे आयोजनों से यह महोत्सव देश की विरासत को सहेजने का प्रयास है। इस महोत्सव से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कानपुर और बिठूर को नई पहचान भी मिलेगी।