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स्क्रॉलिंग हेडलाइंस:

  • कानपुर में दुर्लभ सर्जरी, डॉक्टरों ने तीन साल के बच्चे के पेट से निकाला ट्राइकोबेज़ोआर
  • ‘रॅपुंज़ल सिंड्रोम’ का दुर्लभ मामला, डॉक्टरों की टीम ने किया सफल ऑपरेशन
  • बालों के गुच्छे से पेट और आंतें बाधित, विशेषज्ञों ने सावधानीपूर्वक किया निष्कासन
  • जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की टीम ने रचा इतिहास, दुर्लभ सर्जरी कर बच्चे को दी नई जिंदगी
  • माता-पिता रहें सतर्क, बच्चों में असामान्य खाने की आदतें हो सकती हैं गंभीर बीमारी का कारण  

कानपुर /नीरज बहल : जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के डॉक्टरों ने तीन वर्षीय बच्चे के पेट और आंतों से एक दुर्लभ और विशाल ट्राइकोबेज़ोआर (बालों का गुच्छा) हटाने में सफलता प्राप्त की। इस बालों के गुच्छे ने छोटी और बड़ी आंत के मिलन स्थल (इलीओसिकल जंक्शन) तक कब्जा कर रखा था और आंतों की दीवारों से चिपका हुआ था, जिसके कारण इसे हटाने के लिए विशेष एडहेसियोलाइसिस तकनीक का उपयोग किया गया।


कैसे सामने आया मामला?

📌 बच्चे को लगातार पेट दर्द, उल्टी और पेट में गांठ की शिकायत हो रही थी।
📌 अस्पताल में लाए जाने के बाद डायग्नोस्टिक इमेजिंग (सीटी स्कैन) के जरिए ट्राइकोबेज़ोआर की पुष्टि हुई।
📌 रॅपुंज़ल सिंड्रोम नामक दुर्लभ बीमारी के कारण बच्चा बाल निगलने की आदत से पीड़ित था, जिससे यह समस्या उत्पन्न हुई।
📌 आमतौर पर यह समस्या किशोर लड़कियों में देखी जाती है, लेकिन तीन वर्षीय बच्चे में इसका पाया जाना बेहद दुर्लभ है।


डॉक्टरों की टीम और जटिल सर्जरी का विवरण

👉 डॉ. आर.के. त्रिपाठी के नेतृत्व में सर्जरी को अंजाम दिया गया, जिसमें उनकी टीम के डॉ. श्रद्धा वर्मा, डॉ. सचिन कुमार, डॉ. नवीन पटेल, डॉ. शशांक सिंह और डॉ. दिलीप शामिल थे।
👉 डॉ. सुरभि और डॉ. शिखा के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
👉 सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने बहुत सावधानी से आंतों से चिपके बालों के गुच्छे को अलग किया, जिससे आंतों को कम से कम नुकसान पहुंचे।

🔹 ऑपरेशन के बाद बच्चे को पेडियाट्रिक सर्जिकल यूनिट में विशेष निगरानी में रखा गया।
🔹 सातवें दिन बच्चे को हल्का आहार दिया गया और आठवें दिन सर्जिकल ड्रेन हटा दिया गया।
🔹 बारहवें दिन तक बच्चे की स्थिति सामान्य हो गई और चौदहवें दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।


क्या है ट्राइकोबेज़ोआर और रॅपुंज़ल सिंड्रोम?

📌 ट्राइकोबेज़ोआर एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बाल पेट और आंतों में इकट्ठे होकर एक कठोर गुच्छा बना लेते हैं।
📌 यह ‘रॅपुंज़ल सिंड्रोम’ के कारण होता है, जिसमें व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में बाल खाने की आदत विकसित कर लेता है।
📌 यह बीमारी आमतौर पर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी होती है और ज्यादातर किशोर लड़कियों में पाई जाती है।


मेडिकल विशेषज्ञों की राय

👨‍⚕️ डॉ. आर.के. त्रिपाठी ने बताया कि यह मामला माता-पिता के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने बच्चों की असामान्य खाने की आदतों पर नजर रखें।
👩‍⚕️ विशेषज्ञों के अनुसार, अगर समय पर सर्जरी न की जाए, तो यह समस्या आंतों में छेद (परफोरेशन) या गंभीर रुकावट पैदा कर सकती है।
👨‍⚕️ समय पर पहचान और इलाज से गंभीर जटिलताओं को रोका जा सकता है।

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