हाइलाइट्स :

  • AI डिजिटल से होगी नवजात शिशुओं की मॉनिटरिंग
  • नेओ हेल्थ डिवाइस बताएगी बच्चों में होने वाली दिक्कतें
  • IIT कानपुर और GSVM मेडिकल कॉलेज मिलकर बना रहे हैं स्मार्ट व्रिस्ट बैंड
  • शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए टेक्नोलॉजी का बड़ा कदम
  • बच्चों के स्वास्थ्य की निगरानी अब AI डिवाइस से होगी संभव
  • डॉक्टर मोबाइल से कर सकेंगे नवजात की रियल-टाइम निगरानी
  • 7 लाख रुपये की सरकारी निधि से विकसित हो रही यह तकनीक
  • 250-300 नवजातों पर होगी डिवाइस की टेस्टिंग

🔹 AI तकनीक से बच्चों की जान बचाने की पहल:

कानपुर/नीरज बहल : नवजात शिशुओं की सेहत पर नजर रखने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए एक अनूठी तकनीकी पहल शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश के GSVM मेडिकल कॉलेज और IIT कानपुर ने मिलकर “नेओ हेल्थ” नामक स्मार्ट व्रिस्ट बैंड विकसित करने की योजना बनाई है। इस डिवाइस की मदद से बच्चों के स्वास्थ्य संकेतों की निगरानी संभव होगी, जिससे समय पर उपचार मिल सकेगा और अनावश्यक जटिलताओं से बचाव हो सकेगा।

🔹 कैसा होगा यह AI आधारित ‘नेओ हेल्थ’ व्रिस्ट बैंड?

इस डिवाइस को 2 महीने तक के बच्चों के हाथ या सीने पर लगाया जाएगा। यह विभिन्न शारीरिक संकेतों की निगरानी करेगा, जिसमें शामिल हैं:
धड़कन का सामान्य से तेज़ या धीमा होना
शरीर का तापमान बढ़ना या गिरना
बच्चे का दूध कम पीना
हाथ-पैरों की कम हरकत
बच्चे का कराहना या असामान्य गतिविधि

डिवाइस इन सभी आंकड़ों को डिजिटल रूप में संग्रहित कर मोबाइल एप से डॉक्टरों को उपलब्ध कराएगा। इससे डॉक्टर रियल-टाइम में नवजात की सेहत को मॉनिटर कर सकेंगे और तुरंत उचित कदम उठा सकेंगे।


🔹 शिशु मृत्यु दर को कम करने में मददगार होगी डिवाइस

बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. यशवंत कुमार राव ने प्रेसवार्ता में बताया कि यह डिवाइस पीएसबीआई (Possible Severe Bacterial Infection) के लक्षणों की पहचान करने में मदद करेगी, जिससे समय पर इलाज संभव होगा और बच्चों की जान बचाई जा सकेगी।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश में प्रति 1000 जन्मों पर 35% और देश में 24% शिशु मृत्यु दर है। इस डिवाइस की मदद से समय पर लक्षणों की पहचान कर मृत्युदर को कम किया जा सकेगा।


🔹 DST द्वारा 7 लाख रुपये की वित्तीय सहायता

इस इनोवेटिव परियोजना को DST (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) द्वारा 7 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस डिवाइस को GSVM मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. संजय काला के मार्गदर्शन में विकसित किया जा रहा है।

बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ए.के. आर्या ने बताया कि इस तकनीक को एक मील का पत्थर माना जा रहा है, जो भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शिशु स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार लाने में मदद करेगा।


🔹 3-4 महीने में डिवाइस होगी तैयार, 250-300 बच्चों पर होगी टेस्टिंग

IIT कानपुर और GSVM मेडिकल कॉलेज मिलकर इस डिवाइस को अगले 3-4 महीनों में तैयार कर लेंगे। इसके बाद 250-300 नवजातों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। यदि परीक्षण सफल रहता है, तो इसे बड़े स्तर पर लॉन्च किया जाएगा।


🔹 यह डिवाइस कैसे काम करेगी?

1️⃣ बच्चे के हाथ या सीने पर स्मार्ट बैंड लगाया जाएगा
2️⃣ हृदय गति, तापमान, दूध पीने की मात्रा और गतिविधियों की निगरानी करेगा
3️⃣ लक्षण दिखते ही माता-पिता और डॉक्टर को सतर्क किया जाएगा
4️⃣ मोबाइल एप के जरिए तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाएगी


🔹 विशेषज्ञों की राय

🔸 डॉ. यशवंत कुमार राव (बाल रोग विशेषज्ञ)

“यह डिवाइस माता-पिता और डॉक्टरों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी। इससे नवजातों की जटिल बीमारियों का समय रहते पता चल सकेगा और तुरंत इलाज संभव होगा।”

🔸 डॉ. ए.के. आर्या (बाल रोग विभागाध्यक्ष, GSVM मेडिकल कॉलेज)

“उत्तर प्रदेश में शिशु मृत्यु दर पहले 40% थी, जो अब घटकर 35% हो गई है। इस डिवाइस के आने से इसे और कम किया जा सकेगा। हमारा उद्देश्य नवजातों को स्वस्थ और सुरक्षित रखना है।”


“नेओ हेल्थ” डिवाइस स्वास्थ्य क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है। एआई तकनीक का उपयोग करके बच्चों की मॉनिटरिंग अब अधिक प्रभावी होगी। यदि इस परियोजना का परीक्षण सफल रहा, तो यह न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नवजात शिशु स्वास्थ्य सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी

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