कानपुर शहर में एसटीएफ का अफसर बनकर छापेमारी करके वसूली करने वाले गैंग के सरगना टीएसआई अजीत यादव ने पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने इसकी जानकारी शनिवार को रावतपुर थाने को दी तब उन्हें इस बात की जानकारी हुई। पुलिस ने गैंग का खुलासा करते हुए दरोगा के साथी होमगार्ड, पीआरडी की महिला कर्मी समेत पांच लोगों को अरेस्ट करके जेल भेजा था। जबकि सरगना टीएसआई मौके से फरार हो गया था। अब मुख्य आरोपी के सरेंडर करने के बाद उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है।

एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडेय ने बताया कि 17 मई को रावतपुर निवासी अंबिका सिंह चंदेल के घर में एसटीएफ का अफसर बनकर टीएसआई अजीत यादव ने दो गाड़ियों से रेड की थी। गाड़ियों में पुलिस के हूटर और उसके साथ मौजूद महिला समेत अन्य लोग पुलिस अफसर की तरह घर में छापेमारी के बाद जांच करने लगे। इसके बाद सेक्स रैकेट और सट्टा खिलाने का आरोप लगाते हुए 1.40 लाख कैश और 30 हजार रुपए वसूल लिया था। पीड़ित को शक हो गया कि यह कोई पुलिस तो नहीं है, किसी ने फर्जी तरीके से रेड मारकर उनसे जबरन वसूली कर ली है। इसके बाद उन्होंने पूरे मामले की सूचना रावतपुर थाने को दी।

रावतपुर थाने की पुलिस ने जांच पड़ताल की तब सामने आया कि टीएसआई अजीत यादव अपना एक गिरोह चला रहा है। इसमें उसने ट्रैफिक में ही तैनात होमगार्ड राजीव दीक्षित, महिला पीआरडी जवान वर्षा चौहान, अरविंद शुक्ला, अनिरुद्ध सिंह, अनुज शामिल हैं। इसके बाद पुलिस ने गैंग के पांच सदस्यों को अरेस्ट कर लिया, जबकि ट्रैफिक सब-इंस्पेक्टर अजीत यादव मौके से फरार हो गया था।

इसमें अजीत खुद को एसटीएफ का बड़ा अफसर बताता तो वर्षा खुद को महिला इंस्पेक्टर बताती थी। इसी तरह होमगार्ड राजीव दीक्षित खुद को दरोगा बताता था। गैंग के सभी लोग फर्जी तरह से एसटीएफ और एसओजी का अफसर बनकर शहर में अलग-अलग जगह चल रही इनलीगल एक्टिविटी करने वालों के यहां रेड मारकर वसूली करते थे।

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